konark temple history and unknown facts in hindi
भारत बर्ष में नजाने कितने अजूबे दिखने को मिलता है उनमेसे एक ओडिशा राज्य पूरी नगरी में स्थित konark temple जिसे लोग सूर्य मंदिर के नाम पर भी जानते है, आज हम उस महान मंदिर के गाथा को जानने वाले है जिसे सुनके आप भी चौंक जायेंगे,
konark temple
पुरे इतिहास को खंगाल कर इसी आर्टिकल को लिखा गया है सो इसे आखरी तक जरूर पढ़ें। बतादूँ की भारत के ओडिशा राज्य में sun- 13 century में ओडिशा के नाम उत्कल हुआ करता था उस वक्त उत्कल यानि ओडिशा के राजा लांगुला नरसिंघ देव जो गंग बांस के श्रेष्ठ राजाओं में से एक थे,
आपके जानकारी केलिए बतादूँ की श्री जगन्नाथ मंदिर को भी इसी बंस के राजाओं ने ढूंढा था, दोस्तों लांगुला नरसिंघ देव एक धनबान राजा हुआ करते थे,राजा ने सूरज (sun) को भगबान मानके हर दिन पूजा अर्चना किया करते थे जिसके पीछे एक बहुत बड़ा राज छुपा था।
दिन राजा राजा ने सोते हुए एक सपना देखा जहाँ एक सूरज के रहश्यमयी मंदिर बहुत ही अलौकिक से भरा हुआथा जहाँ ऐसा एक सकती था जिसे जो कोई भी देखता था उसके जीबन में खुशियां भर जाताथा,राजा narasimha deva ने यह सपना देखने के बात वे उस दृश्य को भुला नहीं परहा था,
राजा ने एक दिन अपने सपने को सच में बदलने केलिए ठान लिए और एक बैठक बुलाये जहाँ देश बिदेश के बड़े बड़े महान कारीगर को बुलाया गया था और वह बैठक में राजा ने अपने सपने में जो रहश्यमई मंदिर देखे थे वह मंदिर के बारेमे सबके सामने जिक्र करते है जिसे सुन के सरे लोग हैरान हो जाते है,
बतादूँ की उस सभा में जितना भी कारीगर थे उनमेसे दो बहुत ही बहादुर और प्रतिभासाली कारीगर थे जिनका नाम sadasiv samanta roy और उनके साथी Bishu maharana इन दोनों ने असम्भब को भी सम्भब करने में माहिर होते है,
राजा के हिसाब से सदासिव ने मंदिर की एक डाइग्राम तैयार करता है जिसे देखके राजा को बहुत ही पसंद आता है,सब लोग उसी डाइग्राम को देखके डर जाते है कियूं की वह एक सपनो का डाइग्राम होता है जिसे हकीकत में ढालना नाममुकिन होता है,
मंदिर को बनाने केलिए भारत के 1200 महान कारीगर को चुना जाता है जहाँ सदासिव और bishu के हिसाब से पूरा मंदिर को निर्माण किया जायेगा। देखते देखते मंदिर के कार्य सुरु हो जाता है और उस मंदिर को निर्माण करते करते कई साल गुजर जाता है,
मंदिर के निर्माण कार्य की 11 साल से भी अधिक समय हो चूका था फिरभी समूर्ण नहीं हो परहा था जिसे देख के राजा को बहुत ही गुस्सा आता है, राजा ने सभी कारीगरों को आदेश देता है जिसे सुनके सभी लोगों के पेरो तले जमीं खिसक जाता है,
राजा का आदेश था की 12 साल होने के आखरी रात तक भी अगर यह मंदिर के कार्य सम्पूर्ण नहीं होपाया तो 1200 कारीगरों के सर को कलम किया जाएगा, यह बातें सुनके सभी कारीगरों के बिच में हड़कंप मच जाता है कियूं की 12 साल पूरा होने केलिए कुछ ही दिन बाकि था,
मंदिर के गुम्मद बनाना बाकि था जिसे कई साल से बनाने के कोसिस चल रहाथा फिरभी हो नहीं पारहाथा , बतादूँ की पूरा मंदिर को बनाने केलिए 6 साल लगा था और उसका गुम्मद यानि ध्वज (मुंडी) को बनाने में 5 साल से भी अधिक समय चला गया था।
दरसल मंदिर के सिख पर 5 ton के एक चुंबकीय कलस लगवाना होता है जिसे जितने प्रकार के माध्यम से बैठाये तो भी वो तेढा होजाता था याफिर टूट जाता था,यह के एक सबसे बड़ा समस्या थी मंदिर के कार्य को सम्पूर्ण करने जिसके चलते सरे कारीगरों के जान अब दओं में लग जाता है,
Dharmapada story
सभी कारीगरों के चीफ bishu maharana के बेटे का नाम dharmapada है जो 12 साल के एक छोटा बच्चा था। दरसल महाराणा जब यह मंदिर को बनाने केलिए घर से आये थे (bishu maharana wife name) तब उनके धर्म पत्नी सुकन्या देवी पेट में थी,
सूर्य मंदिर को बनाते बनते 12 साल के वक़्त होगया था और दूसरी तरफ सुकन्या देवी को एक लड़का पैदा होकर उसे भी 12 साल के आयु होने बालाथा जिसका नाम था dharmapada, धर्मा ने कभी भी अपने पापा यानि बिशु महाराणा को नहीं देख थे जिसके चलते जब वो थोड़ा बड़े होगये तब अपने माँ से जिद करता है की वो कोणार्क नगरी जाके अपने बाप से मिलके आएगा,
जब धर्मा ने बहुत जिद किया तब उसके माँ जाने केलिए अनुमति देदी और साथ में अपने आंगन में लगाया हुआ बैर और महाराणा जी के कुत्ता बलिआ को भी साथ लेतेहुए जाने केलिए माँ ने कही ताकि वो सरे चीजें देख कर धर्मा के पापा धर्मा को पहचान सके,
धर्मा ने उस बैर को अपने कपडे में बांध के बलिआ के साथ निकल पड़ता है कोणार्क नगरी के और जहाँ पहंच ने केलिए 2 दिन लग जाता है। धर्मा सही सलामत पहंच जाता है और अपने पापा को ढूंढ के अपने परिचय देता है जिसे देखे के महाराणा बहुत खुस होजाते है,
दोस्तों मंदिर को सम्पूर्ण निर्माण करने का समय राजा ने जो दिया था वो पूरा होगया था बस आखरी रत ही बचा था,सरे कारीगर खामोस थे और चाहा कर भी कुछ कर नहीं परेहे थे इतने में वही खामोसी को देखते हुए धर्मा ने अपने पापा को पूछता है की किया हुआ पापा यहाँ इतना सरनाटा कियूं है,
महाराणा ने धर्मा को कुछ जबाब नहीं दिया और उसे उसी रत में ही घर लट जानेके बोलते है जहाँ धर्मा को पताचल जाता है की कुछ तो बुरा हुआ,धर्मा ने अपने पापा को कसम देके पूछता है की यहाँ किया हुआ है और आखिर में महाराणा ने सरे बातें सच सच बता देते है।
यह बात सुनके धर्मा जोर जोर से हस्ता है जिसे देख के सरे लोग गुस्सा होजाते है और खामोस रहने केलिए बोलते है। धर्मा ने सबको माफ़ी मांगते हुए कहता है की अगर आपके इजाजत हो तो यह काम में कर सकते हूँ सिर्फ कुछी घंटो के तो काम है जल्दी हो जायेगा आप लोग चिंता मत करो…..
यह बात सुनके सरे लोग धर्मा को बोलते है खुद तुम्हारे पापा ने जिस काम को करने करने केलिए 6 साल से नाकाम है वही काम तुम कर पाओगे ? धर्मा बीटा तुम सिर्फ 12 साल के एक छोटा बच्चा हो हमारे मजाक न उड़ाओ और होसके तो यहाँ से अभी के अभी चेलेजाओ अपने जान बचाना चाहते हो तो,
यह बात सुनके धर्मा गुस्सा हो जाता है और कहता है की भले ही में 12 साल का हूँ पर मेरे सरीर में एक महान कारीगर के खून प्रचलित होरहा है और मंदिर के ऊपर गुम्मद में आसानी से बांध सकता हूँ यह मेरा अंतर आत्मा केहेरा है,
मुझे अपने आप में बिस्वास है की इसी गुम्मद को मंदिर के ऊपर बड़े ही आराम से में लगा दूंगा कियूं की जब पापा उतने दिन से गाओं में नहीं है तो हमारे तरफ जितने भी मंदिर बनाया जाता है वो सब में ही बनता हूँ इसीलिए मुझे भरोसा है की में ये कर सकता हूँ,
ऐसा कहेके धर्मा ने सबको भरोसा दिलाता है जहाँ कई सरे कारीगर वह करने केलिए अनुमति भी देदेते है और आखिर में सदासिव सामंत रॉय भी अनुमति देते है इतने में धर्मा ने मंदिर के ऊपर चढ़ जाता है और बड़े ही चतुराई से नाप जोक करने लगता है।
धर्मा कहता है की यह सिर्फ कुछी घंटो की काम है और आप सब मदत करोगे तो जल्दी होजायेगा जिसे सुनके सब राजी हो जाते है। धर्मा ने अपने काम पर इतना निपुण होता है की 6 साल में जो काम नहीं हो पाया वह सिर्फ कुछी घंटो में करलेता है वो भी सठिक तरीके से जिसे देखके सरे कारीगर खुस होजाते है,
कुछ समय बीत जानके के बाद कारीगरों की बिच कुछ फूस फूसा हट सुनने आता है जहाँ कारीगरों ने यह बोल रहेथे की जान तो हमारा बच गया पर अगर राजा को पताचला के मंदिर के गुम्बज को हमने नहीं कोई छोटे से बालक ने बांधा है तो राजा हमारे सर जरूर काट देगा,
यह बातें देखते ही देखते सरे कारीगरों की बिच होने लेगा और बाद में बिशु महाराणा के कान में आया जिससे सुनके महाराणा ने अत्यंत सोक (दुःख ) में पड़ गए और उन सभी कारीगर को समझने लगे की ऐसा कुछ नहीं होगा पर कोई समझना नहीं चाहता था।
महाराणा ने अपने बेटे को लेके रोतारात भाग जाने के भी सोच रहे थे पर नाकाम हुए। सुभे होते ही राजा मंदिर को देखने आएगा यह डर में सब भाबुक होगये थे इतने में धर्मा ने सबको एक ही बात बोलता है की में जिन्दा रहूँगा तब न आपके सर कटेगा अगर में मर जाऊं तो हो सकता है आपके जान सलामत रहेगा और यह बातें राजा को भी कोई नहीं बताएगा।
उस 12 साल के छोटे धर्मा ने अपने पापा को आखरी बार प्रणाम करके उनके गले मिल रहा था जिसे देख के महाराणा भी हैरान थे की ये किया करने वाला है,धर्मा और देर न करते हुए उस बनाया हुआ मंदिर के ऊपर चढ़ जाता है और चंद्रभागा नादि के अंदर कूद जाता है,
यह दृश्य देख के सरे कारीगर अपने आप को कोसते है की अपनी जान केलिए किसी और के जान हमने लेलिए। यह कोई कहानी नहीं है बल्कि सच्ची घटनाये है जो dharmapada story के बारेमे ओडिशा राज्य के इतिहास भी साखी है और स्वंग कोणार्क मंदिर आज भी खाडा है अपने अतीत के साथ।
konark temple कहाँ है ?
ओडिशा के पूरी जिल्ले में कोणार्क नगरी यानि सेहर स्थित है जहाँ एक नदी भी बहता है और उस नदी का नाम चंद्रभागा है उसके किनारे आज से 700 साल पहले यह मंदिर को राजा लांगुला नरसिंघा देव के आदेश से 1200 कारीगरों ने मिलके कोणार्क मंदिर को बनाये थे जिसका कला और संस्कृति आज भी देखने को मिलता है जहाँ हर रोज हजारों प्रोयजटक के भीड़ लगा रहता है हमेसा।
अगर आपको konark temple visit करना है तो ओडिशा के राजधानी भुबनेश्वर को सबसे पहले जाना पड़ेगा जहाँ से कोणार्क के दूरियां 66.8 km है जो आप bus,taxi,bike और तो और train में भी जा सकते हो,कोणार्क मंदिर के सौंदर्य आज भी उतना ही है जितना पहले था हालाकि मंदिर अब धस चूका है फिर भी आप मंदिर को देखोगे तो उसकी कला और संस्कृति को देखके अंदाज लगा सकते हो की मंदिर का महत्व कितना ह,
unknown facts
- कोणार्क मंदिर को 1200 कारीगरों ने बनाये थे,
- कोणार्क मंदिर किसने बनवाया – लांगुला नरसिंघा देव
- इसी मंदिर को निर्माण करने केलिए 1200 कारीगरों को 12 साल लगा था
- कोणार्क मंदिर के उच्चता 200 फिट है पर देखने से ऐसा नहीं लगता है और यह एक unknown facts के लिस्ट में आता है
- यह मंदिर को 1300 century में बनवागया था,
- ये दुनियां के एक लौता मंदिर है जिसे color यानि panting नहीं किया जाता है।
- इसमंदिर की ऊपर से धर्मा ने चंद्रभागा नदी के अंदर छलांग लगाके जान दिया था जो आज के तारीख में कोई देखेगा तो यकीन नहीं कर पाएगा क्यों की वो नदी सुख के 2 km दूर जा चूका है आज के तारीख में।
- इस मंदिर में कोई भी देवी देवता को पूजा किया नहीं जाता है,
- ये दुनियां के ऐसा एक मंदिर है जहाँ लोग पूजा करने नहीं आते है सिर्फ मंदिर के कला कुर्ती देखने को आते है,
- लोगों का मान्ना है की इस महान मंदिर निर्माण करने वाले कारीगरों के साथ अन्या और अत्याचार हुआ था जिसके चलते मंदिर जायदा दिन टिक नहीं पाया और धीरे धीरे टूटना सुरु होगया था उस्व क़्त से ही और आज का दिन में मंदिर पूरी तरह से खराप होचुका है,
- मंदिर को कई सालो तक बंद कर दियागया था जो उसके आसपास जंगल बनगया था जिसे अंग्रेजो ने पुनः उधार किये थे,
- मंदिर में जो पहिये यानि wheel के कला किया गया है उस फोटो को आप आज के 10 रूपए नोट में देख सकते हो,
- कोणार्क मंदिर के गुम्बद यानि सीर्सक में एक चुम्बकीय कलस लगाया गया था और वो इतना तेज था की उसकी ऊपर से कोई भी चिड़िआ और flight गुजर नहीं सकता था पर उस कलस को अंग्रेजोने लेलिए।
- कोणार्क मंदिर को sun temple भी कहाजाता है कियूं की सुबह का पहला किरण मंदिर के अंदर जाके टकराता है तब जाके चारो और फैलता है
उम्मदी करता हूँ की इस ऐतिहासिक मंदिर के बारेमे सरे जानकारी को अच्छे से मिल गया होगा, किसी भी सबाल या सुझाब हो तो कमेंट करना न भूलिएगा, तो दोस्तों यह था konark temple के history जिसे किसी पत्थर दिल को भी प्रभाबित कर सकता है,